एक्ट्रेस आलिया भट्ट ने खुद खुलासा किया है की वो एडीएचडी अटेंशन हाइपर क्रिएटिविटी डिसऑर्डर से जूझ रही है इस बिमारी की वजह से उन्हें मौजूदा पर मैं जीने में परेशानी होती है जिगरा फिल्म में अपने अभिनय के लिए तारीफें बटोर रही आलिया ने एक इंटरव्यू में बताया कि बचपन से ही उनका ध्यान बातचीत के दौरान भटक जाता था लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उन्हें एडीएचडी है इसी के साथ आलिया ने आगे बताया मैं बचपन से ही ज़ोन आउट हो जाती थी क्लास रूम में या बातचीत के दौरान मेरा ध्यान भटक जाता था.
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हाल ही में मैंने एक मनोवैज्ञानिक परीक्षण कराया और पता चला की मैं एडीएचडी सेंट्रम के हाई पर हूँ जब भी मैंने अपने दोस्तों को इसके बारे में बताया तो वो कहते थे हमें हमेशा से पता था आलिया भट्ट ने बताया कि वो की जिंदगी में बहुत कम ऐसे पल आते हैं जब वो खुद को पूरी तरह से मौजूद महसूस करती है उसमें से एक है जब वो अपनी बेटी राहा के साथ होती है उन्होंने कहा कि मुझे समझ में आया कि मैं कैमरे के सामने शांत जो रहती हूँ मैं उस पर मैं सबसे ज्यादा प्रेज़ेंट रहती हूँ जब भी मैं कैमरे के सामने होती हूँ.
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तो मैं उस किरदार के रूप में मौजूद होती हूँ जिसे मैं निभा रही होती हूँ इसके अलावा जब मैं राहा के साथ होती हूँ तो मैं सबसे ज्यादा प्रेज़ेंट रहती हूँ मेरी जिंदगी में ये दो पल है जब मैं सबसे ज्यादा शांत रहती हूँ एडीएचडी आखिर क्या है सीडीसी कनोरा एडीएचडी बचपन के सबसे सामान्य न्यूरोडेवलपमेंट डिसऑर्डर में से एक है न्यूरोडेवलपमेंट का अर्थ है मस्तिष्क के बढ़ने और विकसित होने के तरीके में कुछ गड़बड़ होना एडीएचडी का आमतौर पर बचपन में पहली बार निदान किया जाता है और अक्सर जवानी तक रहता है.
एडीएचडी वाले बच्चों का ध्यान देने में काफी परेशानी हो सकती है उनके व्यवहार को कंट्रोल करने में परेशानी हो सकती है वो बिना कुछ सोचे समझे कुछ भी कर सकते हैं या अत्यधिक सक्रिय हो सकते हैं कई बार बच्चों को ध्यान केंद्रित करने और व्यापार करने में परेशानी होना सामान्य हैं हालांकि एडीएचडी वाले बच्चों में लक्षण जारी रह सकते हैं गंभीर हो सकते हैं और स्कूल में घर पर या दोस्तों के साथ कठिनाई पैदा कर सकते हैं इसके लक्षण समय के साथ बदल सकते हैं और बढ़ भी सकते हैं इसके लक्षण समय के साथ बदल सकते हैं.
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ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, आसानी से विचलित होना, बातचीत को सुनने में कठिनाई, भूलने की प्रवत्ति, कार्य को पूरा करने में कठिनाई, शोर करना या चिल्लाना, अक्सर बात करना जल्दी से बात करना, दूसरों की बात काटना, एडीएचडी वाले लोगों को बिहेवियर थेरेपी और दवा के अलावा एक हेल्थी लाइफ स्टाइल होने से लक्षणों से निपटने में मदद मिल सकती है ऐसे बच्चों में खाने की सवस्थ आदतें विकसित की जानी चाहिए जैसे की उनके खाने में बहुत सारे फल सब्जियों और साबूत अनाज खाना और दुबला प्रोटीन जैसी चीजें शामिल की जानी चाहिए.
ऐसे बच्चों को उम्र के आधार पर रोजाना के फिजिकल ऐक्टिविटी में शामिल होना चाहिए टीवी कंप्यूटर फ़ोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रहना चाहिए उम्र के आधार पर हर रात पर्याप्त नींद लेनी चाहिए इसी के साथ यह समस्या उन बच्चों को हो सकती है जिनके पैरेंट्स को ये समस्या थी गर्भावस्था या छोटे बच्चों में पर्यावरणीय जोखिमों के संपर्क में आना जैसे कि गर्भावस्था के दौरान शराब और तंबाकू का सेवन करना फ़िलहाल इस खबर पर आप क्या कहेंगे हमें कमेंट में जरूर बताएं बाकी और भी ऐसी ही अपडेट्स पाने के लिए Tube Discover ऐप से जुड़ें.
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