Supreme Court’s big decision on pension: सरकारी नौकरी से सम्मान के साथ-साथ सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा भी मिलती है। हर महीने प्राप्त होने वाली पेंशन सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों के लिए जीवन रक्षक की तरह कार्य करती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण निर्णय ने सरकारी कर्मचारियों की पेंशन में भारी वृद्धि की है। आइए इस विशेष निर्णय के बारे में विस्तार से जानें।
सरकारी कर्मचारियों का समर्थन
देश में सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक पेंशन योजना संचालित की जाती है। इस योजना के तहत, सरकारी कर्मचारी की सेवा अवधि के दौरान उसकी तनख्वाह का एक भाग हर महीने पेंशन फंड में जमा होता है।
इसके साथ ही, सरकार भी इसमें अपना अंशदान करती है। सेवानिवृत्ति के बाद, कर्मचारी को जमा राशि का एक भाग एकमुश्त और शेष मासिक पेंशन के रूप में प्राप्त होता है।
पेंशन राशि में बड़ी वृद्धि
पहले, केंद्रीय सरकार अपने कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद उनकी अंतिम वेतन का केवल 30% ही पेंशन के रूप में देती थी। लेकिन, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, यह राशि अब बढ़ाकर 50% कर दी गई है।
इसका मतलब यह है कि सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का आधा हिस्सा हर महीने पेंशन के रूप में मिलेगा।
न्यूनतम पेंशन राशि में भी इजाफा
सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ पेंशन राशि का प्रतिशत बढ़ाया है बल्कि न्यूनतम पेंशन राशि में भी इजाफा किया है।
पहले न्यूनतम पेंशन राशि ₹9000 थी, जिसे अब बढ़ाकर ₹15000 कर दिया गया है। यह फैसला उन कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है, जिनका रिटायरमेंट के समय वेतन कम था।
किसे मिलेगा इस बढ़ोतरी का फायदा
केंद्र सरकार के सभी विभागों में कम से कम 10 साल से काम कर रहे कर्मचारी इस पेंशन योजना का लाभ उठा सकते हैं।
साथ ही अगर किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उसके आश्रितों को भी पेंशन का लाभ मिलता है। हालांकि, मृत्यु की स्थिति में पेंशन राशि अंतिम वेतन का 30 फीसदी ही होती है।