टैक्स फ्री बॉन्ड की पेपर क्वालिटी और रेटिंग बेहतर होती है। इन योजनाओं में मैच्योरिटी पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है। मैच्योरिटी पर मूल राशि का भुगतान किया जाता है। यह उन करदाताओं के लिए बेहतर विकल्प है जो उच्च कर ब्रैकेट में आते हैं।
Tax Free Scheme: सुरक्षित रिटर्न के लिए टैक्स फ्री बॉन्ड का आकर्षण बढ़ रहा है। ये बॉन्ड सरकार द्वारा किसी खास उद्देश्य के लिए जारी किए जाते हैं और इन पर FD के बराबर या उससे थोड़ा ज़्यादा ब्याज मिलता है। इन योजनाओं की खासियत यह है कि इस पर सरकार की सॉवरेन गारंटी होती है, जबकि ब्याज भी टैक्स फ्री होता है। हालांकि, यह ध्यान रखना चाहिए कि टैक्स फ्री बॉन्ड और टैक्स सेवर बॉन्ड दो अलग-अलग तरह के विकल्प हैं।
टैक्स फ्री बॉन्ड क्या होते हैं?
टैक्स फ्री बॉन्ड एक तरह का डेट निवेश विकल्प है। सरकारी संस्थाएं फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज जारी करती हैं। इन्हें टैक्स-फ्री बॉन्ड के नाम से जाना जाता है। ये विकल्प निवेशकों को सालाना पहले से तय ब्याज आय कमाने का मौका देते हैं, साथ ही ये एक सुरक्षित निवेश विकल्प भी है। इसमें मिलने वाला ब्याज टैक्स-फ्री होता है। दूसरे बॉन्ड की तरह इसमें भी मूल राशि मैच्योरिटी पर चुकानी होती है।
टैक्स-फ्री बॉन्ड की मैच्योरिटी अवधि आमतौर पर 10 से 20 साल के बीच होती है और इनकी ब्याज दरें आमतौर पर दूसरे फिक्स्ड इनकम विकल्पों से कम होती हैं। ये उन करदाताओं के लिए बेहतर विकल्प है जो ऊंचे टैक्स ब्रैकेट में आते हैं। टैक्स फ्री बॉन्ड एक्सचेंज पर उपलब्ध हैं। लंबी अवधि में सुरक्षित रिटर्न की तलाश कर रहे निवेशकों के लिए ये विकल्प बेहतर है।
ये कंपनियां बांड जारी करती हैं
इनमें एनटीपीसी, एनएचपीसी, इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल), भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (हुडको), इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईआरएफसी), पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएफसी), आरईसी, नाबार्ड जैसी कंपनियां शामिल हैं।
जारीकर्ता संस्था कूपन दर और प्रतिफल
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण: 8.75%, 5.48%
राष्ट्रीय आवास बैंक: 9.1%, 5.01%
एनटीपीसी लिमिटेड: 8.91%, 5.6%
आरईसी: 8.71%, 5.49%
आवास और शहरी विकास निगम: 7.64%, 5.7%
भारतीय रेलवे निगम: 8.63%, 5.11%
पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन: 8.67%, 5.20
ये बॉन्ड क्यों जारी किए जाते हैं
जब कंपनियों को अपना कारोबार बढ़ाने के लिए पैसे की जरूरत होती है, तो वे एक निश्चित कूपन दर पर ऐसे बॉन्ड जारी करती हैं। इन पर रिटर्न की गारंटी होती है। ये बॉन्ड शेयर बाजार में सूचीबद्ध होते हैं और इनसे मिलने वाले रिटर्न पर टैक्स नहीं लगता। कंपनियों द्वारा टैक्स-फ्री बॉन्ड जारी करने का उद्देश्य एक निश्चित समय अवधि के लिए किसी खास कारण से फंड जुटाना होता है।
कर मुक्त बांड के लाभ
ये स्थिर लेकिन सुरक्षित रिटर्न देते हैं। टैक्स फ्री बॉन्ड में लॉक-इन 5 साल से शुरू होता है, जबकि ज़्यादातर बॉन्ड की मैच्योरिटी 10 साल या 15 साल या 20 साल होती है। टैक्स फ्री बॉन्ड का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि इनकी पेपर क्वालिटी और रेटिंग दूसरे बॉन्ड से बेहतर होती है। ये बॉन्ड सरकार किसी खास मकसद से जारी करती है, इसलिए इन पर सरकार की सॉवरेन गारंटी होती है।
कर-बचत बांड से अलग
यानी इनमें निवेश से होने वाली आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता है। टैक्स सेविंग बॉन्ड के मामले में ऐसा नहीं है। टैक्स सेविंग बॉन्ड के मामले में एक वित्त वर्ष में इन योजनाओं में निवेश की गई रकम पर आयकर अधिनियम की धारा 80CCF के तहत टैक्स लाभ मिलता है।
इसके तहत निवेशक को 20,000 रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है। इससे होने वाली ब्याज आय टैक्स-फ्री नहीं होती है। आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10 के अनुसार टैक्स-फ्री बॉन्ड से होने वाली ब्याज आय पूरी तरह से टैक्स-फ्री होती है।