सैफ की चोट भले ही ठीक हो गई लेकिन अब एक और चिंता उनका इंतजार कर रही है और ये खबर उनके स्वास्थ्य से नहीं बल्कि संपत्ति से जुड़ी है, खबर यह है कि सैफ अली खान को विरासत में मिली कई खानदानी जायदाद अब भारत सरकार के नियंत्रण में आ सकती हैं. ये सभी संपत्तियां मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हैं जिनकी कीमत 15,000 करोड़ रुपये के आसपास है इनमें वो फ्लैट स्टाफ हाउस भी हैं जहाँ सैफ का बचपन बीता था इसके अलावा आलीशान नूरु सबा पैलेस होटेल बंगलों ऑफ हबीबी और भोपाल का अहमदाबाद पैलेस इसमें शामिल हैं.
ये बड़ी-बड़ी संपत्तियां हैं इन सभी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित किया जा चुका है और कानून के मुताबिक सरकार अब इनका अधिग्रहण कर सकती है शत्रु संपत्ति कौन सम्पत्तियों को कहते हैं जिनके मालिक युद्ध के समय भारत छोड़कर ऐसे देशों में चले गए जिन्हें शत्रु राष्ट्र के रूप में चिन्हित किया गया था सरकार ने चीन और पाकिस्तान के साथ चल रहे युद्ध के दौरान ऐसे देशों में जाने वाले लोगों की संपत्ति और कारोबार को अपने नियंत्रण में ले लिया था क्योंकि ये लोग दुश्मन देश में जाकर बीएस गए थे.
अब सवाल ये है की अगर ये संपत्तियां सैफ अली खान के पूर्वजों की है और सैफ अली खान को विरासत में मिली है तो ये शत्रु संपत्ति कैसे हो सकती हैं और इन पर सरकार का हक कैसे हो सकता है क्योंकि सैफ अली खान और उनके परिवार के लोग तो आज भी भारत में ही रहते हैं ये लोग तो भारत छोड़ कर गए नहीं, इन संपत्तियों की कहानी भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान से जुड़ी है जो सैफ अली खान के पिता मंसूर अली खान पटौदी के नाना थे हमीदुल्ला खान की तीन बेटियां थीं जिनमें सबसे बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान उनकी सम्पत्ति की उत्तराधिकारी थी.
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लेकिन वो वर्ष 1950 में पाकिस्तान चली गईं और वहाँ डिप्लोमैट बन गई उनकी दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान थीं जिनकी शादी सैफ अली खान के दादा और पटौदी के नवाब इफ्तिखार अली खान से हुई, 1960 में हमीदुल्लाह खान की मृत्यु के बाद साजिदा सुल्तान उनकी संपत्ति की वारिस बन गई इसके बाद आबिदा सुल्तान ने पाकिस्तान से इस संपत्ति पर अपना हक जताया लेकिन 1962 में अदालत ने सैफ अली खान की दादी आबिदा सुल्तान के पक्ष में अपना फैसला सुना दिया.
और इस तरह आबिदा सुल्तान के बाद सैफ के पिता मंसूर अली खां पटौदी और उनका परिवार खुद को इस संपत्ति का उत्तराधिकारी मानते रहे हालाँकि वर्ष 1968 में केंद्र सरकार ने शत्रु संपत्ति कानून पारित कर दिया जिसके तहत पाकिस्तान और चीन गए लोगों की संपत्ति पर सरकार का नियंत्रण हो गया था मौजूदा विवाद वर्ष 2015 में शुरू हुआ जब भोपाल के नवाब से जुड़ी संपत्तियों को एनिमी प्रॉपर्टी डिपार्टमेंट के कस्टोडियन ने शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया और सैफ अली खान की दादी साजिदा सुल्तान को इस संपत्ति का वारिस सरकार ने नहीं माना.
सरकार के मुताबिक भोपाल के नवाब की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान उनकी संपत्ति की असली उत्तराधिकारी थी जो पाकिस्तान चली गई इसके अलावा सैफ अली खान की माँ शर्मिला टैगोर वर्ष 2015 में अदालत गई जिस पर लगातार सुनवाई चल रही शत्रु संपत्ति से जुड़े विवादों की वजह से वर्ष 2016 में सरकार एक अध्यादेश लेकर आई जो 2017 में कानून में बन गया और इसके तहत युद्ध के दौरान पाकिस्तान और चीन की नागरिकता ले चुके लोगों की संपत्ति पर उनके वारिसों का कोई अधिकार नहीं होगा.
भले ही वो वारिस भारत के नागरिक हों और इस तरह शत्रु संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावे कानूनी रूप से रद्द हो गए और ऐसी संपत्तियों का नियंत्रण सरकार के पास चला गया और कानून के मुताबिक भोपाल के नवाब की संपत्ति अब भारत सरकार के अधिकार में आ गई इसके अलावा शत्रु संपत्ति से जुड़े विवाद के निपटारे के लिए केंद्र सरकार ने एक प्राधिकरण का गठन भी कर दिया था लेकिन पिछले साल 13 दिसंबर को भारत सरकार सैफ अली खान के परिवार के केस में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का एक आदेश आया.
जिसमें सैफ के परिवार से 30 दिन के अंदर इस प्राधिकरण के पास जाने के लिए कहा गया था अपील करने के लिए, 12 जनवरी को इस आदेश को 30 दिन पूरे हो चुके हैं लेकिन ये साफ नहीं हुआ कि सैफ या उनके परिवार ने अपनी अपील अभी तक दायर की भी है या नहीं कीहै लेकिन बड़ी बात ये है की स्थिति यहाँ तक पहुँच गई है कि सैफ के हाथ से और उनके परिवार के हाथों से इतनी बड़ी हजारों करोड़ की संपत्ति कभी भी जा सकती है.