7 साल के तैमूर अली खान ने बहादुरी दिखाकर ये साबित कर दिया है कि उनके अंदर पटौदी का असली खून है सैफ को लीलावती अस्पताल लेकर जाने वाले ऑटो ड्राइवर ने खुलासा किया है कि उन्हें लेकर उनका बेटा तैमूर गया था ड्राइवर के मुताबिक वो नाइट ड्यूटी कर रहा था तभी किसी आंटी ने रिक्शा रिक्शा करके आवाज लगाई एबीपी न्यूज़ से ऑटो ड्राइवर ने कहा मैं घबरा गया था फिर गेट से आवाज आई तो मैंने यूं टर्न लिया और गेट की तरफ गया और वहाँ गाड़ी लगाई.
उस वक्त मैंने नहीं देखा की वो सैफ अली खान हैं उन्होंने पैंट और सफेद कुर्ता पहना था सारे कपड़े खून से सने हुए थे पूरे शरीर पर जख्म थे और उनसे खून बह रहा था उन्हें देखकर मैं हक्का बक्का था वो खुद से चलकर आये थे और उनके साथ कई लोग थे उनके साथ लेडीज भी थे और एक बच्चा भी था वो ऑटो के अंदर बैठे उनके साथ में सात 8 साल का बच्चा भी बैठा और 40 से 45 साल का शख्स भी था जो उनका नौकर लग रहा था मैंने उनसे पूछा होली फैमिली या लीलावती.
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उन्होंने लीलावती चलने के लिए कहा उन्होंने पूछा कितनी देर लगेंगी पूरे रास्ते में वो बच्चे से अंग्रेजी में बात करते रहे ऐसी हालत में भी वो डरे हुए नहीं लग रहे थे मैं हॉस्पिटल के एमर्जेंसी डोर पर उन्हें लेकर पहुंचा तो वहाँ ऐम्बुलेंस खड़ी थी और तब वहीं रिक्शा साइड में लगाया जब वो अस्पताल पहुँच कर ऑटो से नीचे उतरे और गार्ड से कहा कि स्ट्रेचर लेकर आओ मैं सैफ अली खान हूँ तब मुझे पता चला की वो एक्टर सैफ अली खान हैं मैंने उनसे पैसे भी नहीं लिए.
ऑटो ड्राइवर के अलावा सैफ को ट्रीटमेंट देने वाले डॉक्टर ने भी बयान दिया है कि तैमूर अपने पिता सैफ अली खान को लेकर अस्पताल आया था बताया जा रहा है कि हादसे से करीना बहुत ज्यादा डरी हुई थी घर के नौकरों ने हमलावर को कमरे में बंद कर दिया था लेकिन वो भाग निकला सभी काफी डरे हुए थे लेकिन उस मुश्किल समय में सबसे ज्यादा बहादुरी तैमूर ने दिखाई वो बिना डर के सैफ को अस्पताल लेकर गया कोई 7 साल का बच्चा अगर इस हालत में बिना डरे ये सब करता है तो उसे बहादुरी कहा जाएगा.